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अंतरिक्ष युद्धम 11

    गुरु जीवा

    
    उन लोगों की टेक्स शहर के ही किसी कोने में एक गुबंद जैसी संरचना के आगे जाकर ठहर गई। यह इलाका वैसे तो शहर में था पर यह शहर के अन्य हिस्सों की तुलना में काफी अलग था। इस जगह पर पेड़ पौधों की बहुताया संख्या थी। सूरज की रोशनी भी कम थी जिस वजह से वातावरण में बादलों का छायां जैसा मौसम बना हुआ था। टेक्स जिस परिपाटी पर रुका था वो सोने के बनी हुई प्रतीत हो रही थी। मिशा और राज ने जब इस जगह की तुलना पृथ्वी में अपनी जानी पहचानी चीजों से की तो उन्हें ऐसे लगा जैसे मानो वो किसी सोने के बने महल के सामने खड़े हैं, जो ऊपर से गूबदं का आकार लिए हुए हैं। यह सोने का महल पृथ्वी से तुलना करने पर किसी जंगल में बना लग रहा था। हालांकि यह जंगल नहीं था क्योंकि जंगल में पेड़ पौधे दूर-दूर तक होते हैं और यहां सिर्फ इसी महल के आस-पास पेड़ पौधे थे। जॉर्ज तीनों धरती वासियों को लेकर नीचे उतर आया जबकि उसके बाकी के 3 साथी जैक जीवन और जय वो टेक्स में ही बैठे रहे। नीचे उतरने के बाद जॉर्ज ने अपने तीन साथियों से कहा "तुम लोग जाओ और जाकर स्पेसशिप में बैठो। अब आगे का मैं खुद संभाल लूंगा। यहां हमारी ग्रहीय व्यवस्था के कारण किसी भी तरह का खतरा नहीं... तुम लोग निश्चिंत रहना"
    
    जोर्ज की बात सुनकर तीनों के वहां ठहरने का कोई काम नहीं था। उन तीनों ने टेक्स को दोबारा कमांड दी और वहां से वापिस उसी रास्ते पर चले गए जिस रास्ते से आए थे। तीनों के जाने के बाद जॉर्ज धरती वासियों के साथ सामने के लंबे गलियारे में चल पड़ा। जैसा कि बाहर से ही दिख रहा था पूरा महल सोने का बना हुआ है और अंदर का गलियारा भी सोने का बना था। गलियारे में कहीं-कहीं पर्दे टंगे हुए नजर आ रहे थे जो हल्के लाल रंग के थे। धरती वासियों को ऊंचाई का अंदाजा लगाकर पता लग रहा था कि वह इस महल में सबसे ऊंची वाली मंजिल पर हैं और यहां से नीचे की ओर उतरेंगे। हुआ भी ऐसा। आगे चलकर कुछ घुमावदार सीढ़ियां आई जो सीधे नीचे की ओर उतर रही थी।
    
    इन घुमावदार सीडियों के परे उन्हें पहली बार महल में जीवित चीजें दिखी। कमर तक लंबे बाल लिए हुए कुछ एलियंस सीडीओ के अंत में खड़े थे। उनकी शारीरिक बनावट देख लग रहा था कि यह यहां की मादा प्रजाति है। उनका शरीर हल्के नीले रंग का था, छाती पर उभार निकले हुए थे। शरीर से आकर्षण की भावना भी पैदा हो रही थी। दिखने में वह जोर्ज जैसे ही दिखते थे लेकिन उनमें रंग का अंतर था। जहां जॉर्ज का रंग गहरे बैंगनी रंग का था वही वह नीले रंग में थी। सोचने पर मोटा मोटा पता लग रहा था कि यहां की नर प्रजाति का रंग बैंगनी होता है जबकि मादा प्रजाति का रंग नीला। जार्ज तीनों को लेकर जब सीडी के मध्य भाग में आया तब वो‌ तीनों को बोला
    
    "यह यहां के पहरेदार हैं। इस बनावट की सुरक्षा की जिम्मेदारी इन पर हैं। यह हमारे यहां की मादाएं हैं। तुम्हारे ग्रह में जैसे ये हैं ( वो‌ मिशा की तरफ देखता हुआ बोला) हमारे ग्रह में वैसे ये हैं ( पहरेदारों की तरफ देख कर)"
    
    राज की हल्की सी हंसी छूट गई। उसने एक-एक कर पहले मिशा को देखा और फिर उन पहरेदारों को। उसके हंसने के कारण नहीं पता था पर शायद तक वह तुलनात्मक व्यंगय कर रहा था इस सोच के साथ की कहां मिशा और कहां यह पहरेदार। क्योंकि राज को अपने इंसानी परवर्ती के कारण मिशा उन पहरेदारों के मुकाबले ज्यादा अच्छी लग रही थी। यह स्वाभाविक भी है। तुलनात्मक अध्ययन में हर प्रजाति को अपने ही प्रजाति अच्छी लगती हैं।
    
    फिलहाल जॉर्ज ने राज की हंसी पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया ना ही मिशा और मिस्टर रावत ने। जोर्ज ने आगे कहना जारी रखा।
    
    "गुरु जीवा की रक्षा करना इनकी जिम्मेदारी है। तुम लोग सोच रहे होंगे कि गुरु जीवा कौन है। गुरु जीवा हमारे ग्रह के महापुरुष हैं जो हमारे महान वैनाडा के लिए मार्गदर्शक का काम करते हैं। उन्हीं की देखरेख में महान वैनाडा द्वारा आवश्यक निर्णय लिए जाते हैं। महाना वैनाडा के लिए जितनी महत्वपूर्ण यह प्रजा है उतना ही महत्वपूर्ण गुरु जीवा। वो आदर्श प्रवृत्ति के और शांत रहने वाले जीव है। तुम धरती वासियों की तुलना में वह संत महात्मा जैसे हैं"
    
    तीनों ने गर्दन हिलाकर बताया कि वह गुरु जीवा के बारे में जान गए । सीधे-सीधे शब्दों में कहा जाए तो गुरु जीवा यहां के संत ही है जो महान वैनाडा यानी इस ग्रह के सत्ताधारी नेता या फिर आप इसे राजा भी कह सकते हैं, को एडवाइस देते है।
    
    लेकिन राज अभी भी संशय में था। वो लोग यहां क्यों आए। वो अपनी जिज्ञासा को रोक नहीं पाया और उसने पूछ ही लिया "पर हम लोग यहां क्यों....."
    
    जॉर्ज उसकी तरफ मुड़ा और उसे ऊपर से नीचे देख कर जवाब दिया
    
    "कोई खास कारण नहीं। तुम लोग यहां शुद्धिकरण के लिए लाए गए हो"
    
    "शुद्धीकरण" मिशा ने चौंक कर कहा "क्या वह किसी तरह के जादूगर हैं जो हमारा शुद्धिकरण करेंगे"
    
    "नहीं नहीं... शुद्धीकरण का तात्पर्य है वह नहीं जो तुम लोग समझ रहे हो। दरअसल तुम लोग पृथ्वी से सीधे ही हमारे ग्रह पर आए हो। तुम्हारे पृथ्वी का भौगोलिक वातावरण और हमारे ग्रह का भौगोलिक वातावरण दोनों अलग-अलग है। तुम्हारे यहां के वातावरण में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीव हमारे वातावरण में नहीं पाए जाते। इस बात की 100% संभावना है कि इस वक्त तुम लोगों के शरीर पर पृथ्वी के हजारों सूक्ष्म जीव तैर रहे होंगे। यह सूक्ष्म जीव हमारे ग्रह के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। शुद्धिकरण में तुम लोगों को एक खास जल से स्नान करवाया जाएगा जिससे तुम्हारे शरीर की बाहरी त्वचा पर मौजूद सभी सूक्ष्म जीव खत्म हो जाएंगे। इसके बाद तुम लोगों को पहनने के लिए हमारे ग्रह के कपड़े दिए जाएंगे। इससे तुम लोगों का शुद्धिकरण हुआ माना जाएगा और तुम यहां के गृह में चलने फिरने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र होंगे।"
    
    "आपका मतलब हमारा सैनिटाइजेशन होगा" मिशा बोली
    
    "हां... कुछ ऐसा ही समझ लो। फिलहाल गुरु जीवा से मुलाकात के पहले ही तुम लोग शुद्धिकरण की प्रक्रिया से गुजरोगे"
    
    **
    
    शुद्धीकरण
    
    सब लोग अब तक सीढीओ के मुहाने तक आ चुके थे। जॉर्ज ने सीढ़ियों के पास खड़ी दोनों मादा पहरेदारो से कहा "इन लोगों का अमृत स्थल पर शुद्धिकरण करवा दो। फिर उसके बाद इनकी मुलाकात गुरु जीवा से करवा देना। यह लोग हमारे ग्रह के खास मेहमान है और इन्हें महान वेनाडा से मिलने से पहले गुरु जीवा से मुलाकात करनी है"
    
    दोनों ही पहरेदारों ने अपने हाथों में चमकदार हत्यार पकड़ रखे थे। जोर्ज के कहने के बाद उन्होंने प्रणाम करने वाले तरीके में सर झुकाया और अपने हथियार वही रख दिए। फिर जोर्ज वहीं रुक गया और पहरेदार राज मिशा और मिस्टर रावत को वहां से आगे की ओर ले गए। उन्होंने सबसे पहले सीढ़ियों के पास के बड़े दरवाजे को पार किया और फिर एक लंबे गैलरी से होते हुए महल के बीचो-बीच पहुंच गए। यह जगह ऊपरी मंजिल के ठीक नीचे बनी हुई थी। राज मिशा और मिस्टर रावत तीनों उसे देखते ही चहचहा उठे। मिस्टर रावत के मुंह से आकस्मिक निकला "यह तो हमारे यहां के स्विमिंग पूल जैसा है"
    
    जगह देखने में स्विमिंग पूल जैसी ही थी। एक सफेद पत्थरों से भरा तालाब जहां का पारदर्शी पानी इतना साफ था कि तालाब का तल तक नजर आ रहा था। पूरी जगह तालाब से 5 मीटर की दूरी छोड़कर सोने की दीवारों से बंद थी। ऊपर की तरफ गुंबद में निकला हुआ एक सुराख था जिससे रोशनी छनकर आ रही थी। सफेद पत्थरों वाले इस तालाब की गहराई हद डेढ़ मीटर के आसपास होगी जबकि चौड़ाई और लंबाई 15-15 मीटर के करीब थी। उसके बीचो-बीच एक सफेद पट्टी बनी हुई थी जो तालाब को दो भागों में बांटती थी। दोनों पहरेदार ने तीनों को कहा
    
    "अब यहां आपको अपने सभी कपड़े उतारकर स्नान करना होगा"
    
    जैसे ही उन्होंने कहा मिशा लजा के एक हल्के भाव के साथ शर्मा उठी। राज और मिस्टर रावत तो लड़के थे इसलिए उन्हें ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, पर मिशा बुरी तरह से एक अलग ही स्थिति में फंस गई। वह आनन-फानन में अपने हाथ बालों में फेरते हुए पहरेदार के कानों में बोली "अरे... मैं एक लड़की हूं और ऐसे ही अपने कपड़े उतारकर सबके सामने नहीं नहा सकती।" फिर उसने अपनी आवाज को और धीमा किया "जरा समझो..."
    
    "ओह" इतना कहते ही पहरेदार ने एक दूसरे की तरफ देखा और मिशा से बोले "तुम्हारे लिए अलग व्यवस्था है....." एक पहरेदारनी मिशा का हाथ पकड़ कर उसे दूसरी तरफ ले गई। वैसे वह जगह वहीं थी लेकिन वह पुल के दूसरी ओर बनी हुई थी। वहां जाते ही पता नहीं क्या जादू हुआ कि दोनों गायब हो गए और किसी को दिखाई नहीं दिए। मिस्टर रावत और राज का चेहरा देखने लायक था, वह लोग सदमे से ऐसे चौंके जैसे मानो कोई सांप देख लिया हो। पहरेदारनी वहां जाकर बोली
    
    "अब आप यहां नहा सकती हैं .. इस जगह पर कोई भी आपको नहीं देख पाएगा" जबकि अंदर से मिशा को बाहर का सब दिख रहा था। वो अपनी आंखों को तिरछा बनाते हुए पहरेदारनी को घूरने लगी। "पर मुझे तो बाहर का सब दिख रहा है..."
    
    "जी आप घबराएं नहीं। आप बाहर की चीजें देख सकती हैं पर आपको कोई नहीं देख सकता"
    
    "यह भला क्या बात हुई... में उन लड़कों को भी ऐसे ही नहाते हुए नहीं देख सकती... नंगा" एक बार फिर उसके चेहरे के एक्सप्रेशन बदले हुए थे।
    
    "हमारे ग्रह में तो ऐसा नहीं होता ... हम लोग तो नहाता हुआ देख लेते हैं"
    
    "क्या.... सच में" मिशा ने फिर हैरत दिखाई
    
    "पर हम लोग नहीं देखते... संस्कार,...."
    
    इससे पहले मिशा कुछ और बोलती पहरेदार ने उसे बीच में ही रोक दिया। "हमारे पास इसका कोई रास्ता नहीं..." और कह कर वापस पीछे आ गई।
    
    मिशा अजीब कशमकश में फंस चुकी थी। उसके चेहरे के एक्सप्रेशन देखने लायक थे जो पल दर पल बदल रहे थे। उसने हवा से बाल उठाते हुए गुस्सा सा दिखाया और पीछे स्विमिंग पूल में गिर गई।
    
    छपाक की एक आवाज हुई और पूरे तालाब में गूंजने लगी।
    
    "यह महारानी तो गई... चलो अब अपने भी चलते हैं" राज ने मिस्टर रावत से कहा और वह दोनों अपने कपड़े उतारने लगे।
    
    इसी दौरान उनके दिमाग से यह बात निकल गई कि यहां दो मादा पहरेदारनी भी खड़ी है। आधे कपड़े उतारने के बाद मिस्टर रावत का ध्यान उन दोनों पर गया। अब शर्माने की बारी उनकी थी। वह अपने उतारे गए कपड़े उठाकर बदन को छुपाने लगें। "तुम लोग.... अरे तुम लोग बाहर जाओ। शर्म नहीं आती लड़कों को नहाता हुआ देख रहे हो" राज भी यह सुनकर हंस पड़ा। हालांकि उसने भी सिर्फ एक अंडरवियर और बनियान पहनी हुई थी लेकिन वह शर्मा नहीं रहा था। मिस्टर रावत पर ध्यान दिए बिना राज उनको इस स्थिति में छोड़ कर तालाब में कूद गया। फिर से एक छपाक की आवाज हुई और पूरे तालाब में गूंज उठी। दोनों पहरेदारनी मिस्टर रावत के कहने के बाद बाहर जाकर खड़ी हो गई। फिर मिस्टर रावत भी खुद को नहीं रोक सके। दोनों ही तालाबों में पागल साण्ड की तरह नहाने लगें। सिर्फ एक अंडरवियर और एक बलियान में।
    
    दूसरी ओर मिशा ने उन दोनों को नहाता देख अपना माथा पकड़ लिया "यह दोनों कैसे पागलों की तरह नहा रहे हैं" राज और मिस्टर रावत कूद कूद कर नहा रहा थे जबकी मिशा तलाब में बिल्कुल शांत खड़ी थी। उसे अजीब भी लग रहा था क्योंकि वह सिर्फ दो ही कपड़ों में थी। उसके हाथ शरीर से चिपके हुए थे। इस डर में कि कहीं राज और मिस्टर रावत को कुछ दिख तो नहीं रहा। पर हकीकत यही थी उस पार से इस पार का कोई भी दृश्य नहीं दिखाई दे रहा था।
    
    तालाब के अंदर का यह सीन पता नहीं कितने टाइम तक याद रहेगा। शुद्धिकरण की प्रक्रिया के बाद अब उनकी अगली मंजिल गुरु जीवा ही थी।
    
    ***
    
    गुरु जीवा... एक अद्भुत प्रजाति
    
    लगभग 2 घंटे तक फुदक फुदक कर नहाने के बाद राज और मिस्टर रावत बाहर आए और आकर अपने शरीर को साफ करने लगे। वहां उनके पहने जाने वाले कपड़े पहले से ही मौजूद थे जो धरती से मिलते-जुलते थे। एक बड़ी सी अलमारी में अलग-अलग तरह के कपड़ों की भरमार थी। मिस्टर रावत ने पहनने के लिए एक कोट पैंट चुना और राज ने लेदर की जैकेट, जींस पेंट और टीशर्ट। फिर वह उस तरफ देखने लगे जहां मिशा गई थी।
    
    राज जोर से चिल्लाया "अरे तुम को बाहर नहीं आना क्या.... अब पूरी जिंदगी यहीं बिताओगी"
    
    मिशा ने जवाब दिया "तुम लोग चलो मैं आती हूं" अब उसकी हालत से तो वहीं वाकिफ थी। राज और मिस्टर रावत मिशा का जवाब सुनकर वहां से चले गए। उनके जाने के बाद मिशा बाहर आई और जल्दी-जल्दी में अपना शरीर साफ कर कपड़ों वाली अलमारी की तरफ भाग खड़ी हुई। वहां उसने भी एक जींस पैंट, वाइट कलर की टी-शर्ट और लेदर की जैकेट पहनने के लिए चुनी। उसके बाल गीले थे जिसे सुखाने का जहां कोई इंतजाम नहीं था। मजबूरन उसे गीले बालों के साथ ही एडजस्ट करना पड़ा और फौरन उन्हें थोड़ा ठीक ठाक कर वह राज और मिस्टर रावत के पीछे पीछे चल दी।
    
    ***
    
    दरवाजे के बाहर खड़ी पहरेदारनी उन्हें गुरु जीवा की ओर ले कर जा रही थी। जॉर्ज उन तीनों को छोड़कर कब का जा चुका था और अब आगे की जिम्मेदारी इन्हीं के सर पर थी। सभी महल में और नीचे की मंजिल पर गए और एक दरबार जैसी दिखने वाली जगह में पहुंच गए। सोने के सिहासनों से सजी इस जगह पर दोनों और 12-12 सिहासन थे। फिर ऊपर की तरफ कुछ सीढ़ियां थी और ऊंचाई पर तीन दूसरे सिंहासन। सभी के सभी सिहासन खाली थे शिवाय एक सिंहासन के
    
    और वही दिखाई दे रहे थे गुरु जीवा। अद्भुत, प्रकाश से जगमग, उनके चेहरे का तेज दूर से ही झलक रहा था। वो एक अलग ही प्रजाति थी। पूरा का पूरा शरीर रोशनी से नहाया हुआ था, दिखने में इन्हीं एलियन के जैसे पर ऊंचाई में दोगुने और रंग में सफेद। उन्होंने लाल रंग की पोशाक पहन रखी थी जो आधे शरीर को ढक रही थी। पोशाक का एक बहुत बड़ा हिस्सा पीछे की ओर था।
    
    दरबार में आते ही दोनों पहरेदारों ने अपने मस्तक को झुका लिया। राज, मिशा और मिस्टर रावत ने भी ऐसा ही किया। ऐसे लग रहा था जैसे उनके सामने कोई दिव्य पुरुष बैठा है, कोई शक्तिदारी दिव्य पुरुष, जो समान्य तुलना में उन्हें भगवान बुद्ध जैसा दिख रहा था।
    
    गुरु जीवा ने अपना हाथ ऊपर उठाया और पहरेदारों को जाने का इशारा किया। इशारा मिलते ही पहरेदारों ने अपने कदम पीछे की ओर खींच लिए। फिर गुरु जीवा एक आकर्षक और मनमोहक आवाज में बोले
    
    "स्वागत है तुम इंसानों का..... हमारे जनडोर ग्रह पर" पता नहीं यह उनका जादू था या चमत्कार, उनकी आवाज पूरे हॉल में गूंज रही थी। "मुझे पूरे एक साल से तुम लोगों का इंतजार था और आज वह इंतजार खत्म हुआ। 4J ने बहुत ही बेहतरीन काम किया है। " फिर वह कुछ पल रुके और दोबारा बोले "मुझे अपने बारे में बताने की ज्यादा आवश्यकता नहीं। आप लोगों को पहले ही मेरे बारे में बता दिया गया होगा। मैं गुरु जीवा हुं और महान वैनाडा के लिए मार्गदर्शक का काम करता हूं। मैं उन्हीं की प्रजाति की एक नस्ल हूं लेकिन मेरे डीएनए के खास गुणों के कारण मैं अलौकिक शक्तियों का धनी हूं। अपने दिमाग की क्षमता का सही तरीके से इस्तेमाल कर पाने के कारण मैं कई सारी ऐसी चीजें कर सकता हूं जो आप लोगों को अविश्वसनीय लगे। कहना तो नहीं चाहिए लेकिन फिर भी बताना आवश्यक है... मैं अपनी क्षमता से कुछ भी कर सकता हूं।" उन्होंने इतना कहा ही था कि वह अचानक हवा में गायब हुए और सीधे उन तीनों के सामने प्रकट हुए।
    
    राज खड़े खड़े मानो बुत हो गया। ऐसा नहीं था कि उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा लेकिन यह चीज उसकी कल्पना से परे थी। उन्होंने टेलिपोर्टेशन के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था और फिर एलियन की तकनीक देखकर इससे ज्यादा हैरानी नहीं हुई। मिशा और मिस्टर रावत के साथ भी कुछ ऐसा ही था। चेहरे के एक्सप्रेशन जरूर बदले थे पर हैरानी नहीं हुई। गुरु जीवा में देवीए शक्तियां थी जिसका कारण उन्होंने पहले ही बता दिया।
    
    गुरु जीवा अभी भी अपनी बात कह रहे थे और वह उन तीनों के सामने खड़े थे "मैं मन की गति से भी तेज कहीं भी आ जा सकता हूं। अपने हाथों में किसी भी चीज को प्रकट कर सकता हूं (अपने हाथों में कुछ सुनहरी रंग के फूल प्रकट कर दिखाते हुए) चीजों को एक जगह से दूसरी जगह भेज सकता हूं (उन्होंने एक सिंहासन को गायब कर दूसरी जगह पर प्रकट कर दिया) उनका आकार बदल सकता हूं (सिंहासन का आकार बदल कर उसे मीनार कर दिया) उनका रंग बदल सकता हूं (सिंहासन का रंग बदल दिया) मैं आसपास के वातावरण में बदलाव ला सकता हूं ( उन्होंने एक चुटकी बजाई और रोशनी से चमकते कमरे में अंधेरा कर दिया, फिर दोबारा चुटकी बजाई जिससे चमकते हुए फूलों की बरसात होने लगी। इससे आसपास की चीजें हल्की रोशनी में नजर आ रही थी) किसी की शक्ल सूरत बदल सकता हूं ( यह दिखाने के लिए उन्होंने मिशा को एलियंस में बदल दिया और राज को मिशा में) उन्हें वापस ठीक कर सकता हूं ( फिर वापस ठीक भी कर दिया)। यह सब मेरी क्षमताऐं हैं। ( इसके बाद उन्होंने एक और चुटकी बजाई और आसपास की सब चीजें सामान्य हो गई और वह अपने सिंहासन पर भी जाकर बैठ गए)"
    
    अबकी बार तीनों को हैरानी हुई थी। पहले जहां टेलिपोर्टेशन करते वक्त लगा यह एक आम बात है वहीं अब लगा की उनके सामने साक्षात कोई भगवान ही खड़ा है। पर जब उनके पास इतनी सारी शक्तियां हैं, जब वो कुछ भी कर सकते हैं तब... उनका यहां क्या काम??
    
    उन तीनों को यहां क्यों लाया गया ??
    
    यह सवाल अभी भी जानना बाकी था।
    
    राज ने पिछली बार की तरह इस बार भी यह सवाल पूछ डाला "लेकिन मुझे एक बात समझ नहीं आ रही..... आप अलौकिक शक्तियों के धनी हैं लेकिन आप लोगों ने हम इंसानों को क्यों अगवा किया। हम लोगों से आपको क्या काम....."
    
    जैसे ही राज ने कहा गुरु जीवा का तेज थोड़ा सा कम हो गया। उनके चेहरे पर व्याकुलता छा गई। वह मुरझाए हुए से लगने लगे जो अजीब था। आखिर ऐसी कौन सी बात थी जो राज के पूछते ही उनकी यह हालत हो गई।
    
    गुरु जीवा अपने हाथों को सिहासन पर मसलते हुए बोले "एक बहुत बड़े और जरूरी काम के लिए....एक ऐसा काम जिसे हमारे ग्रह का कोई भी प्राणी अंजाम नहीं दे सकता... एक ऐसा काम.... जिसे सिर्फ तुम ही कर सकते हो ( उन्होंने राज की तरफ इशारा किया)"
    
    मिशा और मिस्टर रावत गौर से राज की तरफ देखने। आखिर ऐसा कौन सा काम है जो राज कर सकता है और वो ही क्यों। ऐसा क्या खास है उसमें। खुद राज भी हैरान था। वो भला इतना मूल्यवान कब से हो गया कि दूसरे ग्रह के प्राणियों को भी उसकी जरूरत आन पड़ी। उसको तो उसके ग्रह पर ही कोई नहीं पूछता और यहां दूसरे ग्रह वाले कह रहे हैं कि उसे राज की जरूरत है, इतना ही नहीं जो काम राज को करना है उसे भी सिर्फ वही कर सकता है। 

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2 Comments

Miss Lipsa

30-Aug-2021 08:46 AM

Behtareen

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ANAS•creation

13-May-2021 07:53 PM

Achha hai sir

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